संवाद सूत्र, लखनऊ : शिक्षामित्रों को दिए जा रहे प्रशिक्षण की बदरंग सच्चाई यह है कि अभी तक उन्हें पाठ्य सामग्री ही नहीं मिली है। दूसरे बैच का प्रशिक्षण शुरू हुए ठीक-ठाक समय बीत गया है, लेकिन अभी तक पढ़ने के लिए उनके पास कुछ भी नहीं है। ऐसे में जिला शिक्षण एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) से मिल रहे प्रशिक्षण की गुणवत्ता आसानी से समझी जा सकती है। शिक्षामित्रों को प्रशिक्षण के उपरांत शिक्षकों के तौर पर उच्चीकृत करने की योजना के तहत शिक्षामित्रों को जिले के सभी ब्लॉक रीसोर्स सेंटरों पर प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इस साल से दूसरे बैच का प्रशिक्षण हो रहा है, जिसमें 1200 से अधिक शिक्षामित्र शामिल हैं। आसानी से समझा जा सकता है कि बिना पाठ्य सामग्री के हो रहे प्रशिक्षण से शिक्षामित्रों को किस प्रकार उच्चीकृत किया जा रहा होगा। इससे प्रशिक्षुओं में रोष भी है। जानकारी के मुताबिक अभी तक माल, बख्शी का तालाब, चिनहट और काकोरी बीआरसी पर प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे शिक्षामित्रों को कोई भी पाठ्य सामग्री नहीं मिली है। इससे कुल मिलाकर प्रशिक्षण महज कागजों पर दिया जा रहा है। प्रशिक्षुओं की समस्या यह है कि दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से मिल रहे प्रशिक्षण में बिना पाठ्य सामग्री के कैसे परीक्षाएं पास की जाएंगी।
Thursday, 29 November 2012
बिना पाठ्य सामग्री के हो रहा प्रशिक्षण
7:52 am
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संवाद सूत्र, लखनऊ : शिक्षामित्रों को दिए जा रहे प्रशिक्षण की बदरंग सच्चाई यह है कि अभी तक उन्हें पाठ्य सामग्री ही नहीं मिली है। दूसरे बैच का प्रशिक्षण शुरू हुए ठीक-ठाक समय बीत गया है, लेकिन अभी तक पढ़ने के लिए उनके पास कुछ भी नहीं है। ऐसे में जिला शिक्षण एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) से मिल रहे प्रशिक्षण की गुणवत्ता आसानी से समझी जा सकती है। शिक्षामित्रों को प्रशिक्षण के उपरांत शिक्षकों के तौर पर उच्चीकृत करने की योजना के तहत शिक्षामित्रों को जिले के सभी ब्लॉक रीसोर्स सेंटरों पर प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इस साल से दूसरे बैच का प्रशिक्षण हो रहा है, जिसमें 1200 से अधिक शिक्षामित्र शामिल हैं। आसानी से समझा जा सकता है कि बिना पाठ्य सामग्री के हो रहे प्रशिक्षण से शिक्षामित्रों को किस प्रकार उच्चीकृत किया जा रहा होगा। इससे प्रशिक्षुओं में रोष भी है। जानकारी के मुताबिक अभी तक माल, बख्शी का तालाब, चिनहट और काकोरी बीआरसी पर प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे शिक्षामित्रों को कोई भी पाठ्य सामग्री नहीं मिली है। इससे कुल मिलाकर प्रशिक्षण महज कागजों पर दिया जा रहा है। प्रशिक्षुओं की समस्या यह है कि दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से मिल रहे प्रशिक्षण में बिना पाठ्य सामग्री के कैसे परीक्षाएं पास की जाएंगी।
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